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हमारा आदर्श ये नहीं ….।

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हमारा आदर्श कोई न कोई महापुरुष रहे हैं । पुरूषों में राम ,कृष्ण , विवेकानंद,हनुमान रहे है तो सीता ,सावित्री ,गार्गी ….आदि महिला के लिए आदर्श रही हैं । पर, आज आदर्श का मानक ही बदलता जा रहा है। पिछले ही दिन चर्चा हो रही थी कि पॉर्न स्टार की जिस प्रकार की लोकप्रियता बढ़ रही है या ऐसे कहे कि बढ़ाई जा रही है वह हमारे समाज के लिए अच्छा नहीं है । इसे आज का आधुनिक समाज भले ही अच्छा न माने पर ,सत्यता यही है कि ये हमा रा आदर्श नहीं हो सकते । इनको आदर्श मानने से समाज की बात तो दूर स्वयं का विकास या भला नहीं होने वाला । लज्जा महिला का आभूषण माना गया है लेकिन जब वह रंप पर अर्ध्नग्न हो आती है तो लज्जा कहा होती है वहाँ सिर्फ प्रोफेसन होता है महिला नहीं होती तो यह उनका आदर्श कैसे हो सकती हैं । आज ही एक खबर आई है कि” तान्या मिश्रा की निगाहें मिस वर्ल्ड पर ” यह क्या वास्तविक लक्ष्य है । इससे मिस को लाभ तो हो सकता है पर इससे उनका और समाज का कल्याण नहीं हो सकता । लाभ मेरी नज़र में प्रोफेसन है और कल्याण विकास । और ,यही विकास आदमी को ऊँचा बनाता है और दूसरों की नज़र में रोल मोडेल बनाता है । ये आज के समय में आदर्श हो सकते हैं लेकिन मिस वर्ल्ड या फिल्मी हीरो नहीं । आज कई महिलाये अपने दम -खम पर समाज की भलाई की काम कर रही है और अपना और राष्ट्र का नाम ऊँचा कर रही हैं ।इन्हे अपना आदर्श मानना चाहिए । सुधीर कुमार सिन्हा

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