sudhblog
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अच्छा तो यह होता कि राष्ट्रपति का चुनाव ऐसे आदमी का होता जो दलीय राजनीति से अलग का हो पर ऐसा नहीं हो रहा । सहमति की जगह घमासान मचा है । केंद्र अलग परेशान है तो राज्य की राजनीति वयानबाजियों से गरम है । मेरी समझ में यह सारी बातें राष्ट्रपति पद की गरिमा को धूमिल कर रही है । निश्चित रूप से राष्ट्रपति ऐसा होना चाहिए जो सभी दलो के लिए समान रूप से अच्छा हो । अलग-अलग वयानवाजी ,और अपनी रोटी सेकने की बात इसमे नहीं होनी चाहिए ।
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