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हमने बहुत विकास कर लिया और बहुत करना है । यही बात राजनीति के शीर्ष पर बैठे लोग किया करते हैं । वास्तव में हमने विकास किया है , नदियों को जोड़ दिया ,बड़े -बड़े उद्योग स्थापित कर लिए ,I.T.के क्षेत्र में तरक्की कर ली । ओबामा भारत की ओर देखता है और भी न जाने कितनी तरक्की हमने की है । हम अपना सीना तान तो लेते हैं पर अपनी पीठ की और झाकने की हिम्मत नहीं करते । यदि हमने झाँक लिया तो सीना तनाना भूल जायेंगे , पीठ पीछे हमने इतनी सारी गलतियाँ की हैं कि उसका खामियाजा आज और कल के युवा को भोगना पड़ रहा है और पड़ेंगा । हमने नदियों को तो बाँध दिया ,पानी का प्रवाह कैसे आयेंगा ? गंगा सूख रही है ,कई नदियों ने अपना रास्ता बदल दिया ,बाँध बना कर लोगो को विस्थापित कर दिया ,लोगो की जमीनगई ,पुस्तेनी घर छूटा । अपने मॉडल को छोड़ हमने दूसरे का अपना लिया नतीजा उदोयोग धीरे -धीरे बंद हो रहे हैं । अपनी प्रतिभा बाहर जा रही हैं उसका उपयोग हम अपने देश में नहीं कर पा रहे हैं ,ज्ञान का गुरु भारत आज पश्चिम का मुँह देख रहा हैं । उसके मॉडल को अपनाने को बेताब हैं ,चाहे शिक्षा हो या फिर लाइफ़स्टाइल सब पश्चिम का होना चाहिए ,फिर भी हम यह कहने से बाज़ नहीं आते कि हम तरक्की कर रहें हैं । यदि विकास यह है तो विनाश किसे कहेंगे ? सुधीर कुमार सिन्हा
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