sudhblog
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घोघा कार्टून की बात मेरी नज़र में पुरानी हो गई है आज सिर्फ उसका प्रभाव दिख रहा है पर उसका क्या जिसका प्रभाव बाद में दिखने वाला है । सीबीएसई की पुस्तकों को थोड़ा पलट कर देखे तो ध्यान में आएगा कि उसने बालकों को भारत के इतिहास से ही काट दिया है ।उसे क्रिकेट का इतिहास पढ़ना है तो राष्ट्रभाषा हिन्दी और संस्कृत को ऑप्शनल विषय के रूप में रख दिया है । अब बताइये कि आनेवाले वर्षो में हमारे युवक अपने इतिहास और राष्ट्रभाषा को याद रख पाएंगे ?शायद नहीं ….फिर बाद में लाठी पीट कर हम क्या करेंगे ?ध्यान रहे बीस देश ऐसे हैं जिसने अपनी भाषा को खो दिया हैं ,कही ऐसा तो नहीं कि हम किसी साजिश के शिकार हो रहे हैं ?इसलिए बीती बात छोड़ कर आज जो हो रहा है उसकी सोचे ताकि कल यह चर्चा का विषय न बने । और हमें पछताना न प
ड़े । सुधीर कुमार सिन्हा
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